मंगळवार, ४ डिसेंबर, २०१८

महाराष्ट्र शासन असा ऐतिहासिक निर्णय घेणार का?

🚌 *महाराष्ट्र शासन असा ऐतिहासिक निर्णय घेणार का?*

*परिवहन विभाग में विलय की कवायद शुरू ! भष्ट्राचार पर अंकुश लगेगा। राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी। साथ ही यात्री सुरक्षित होंगे।*

Posted By January 29, 2018In: लखनऊ

👉मीडिया हाउस 29 ता. लखऩ़ऊ- उत्तर प्रदेश परिवहन निगम को एक बार फिर से परिवहन विभाग में विलय की कवायद शुरू हो गई है। प्रदेश सरकार की ओर से इस मामले को मूर्तरूप देने के लिए मुख्य सचिव के नेतृत्व में कमेटी गठित की गई है। शासन की ओर से अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा विभाग की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी ने सभी पहलुओं पर अध्धयन करते हुए अपनी संस्तुति में परिवहन निगम को विभाग में शामिल करते हुए संविलियन करने की बात कही है। कमेटी के इस संस्तुति को संज्ञान में लेते हुए सेंट्रल रीजनल वर्कशाप कर्मचारी संघ ने सीएम को एक पत्र भेजा है। पत्र में लिखा है कि निश्चय ही समिति की संस्तुति विभाग की कार्यक्षमता में वृद्धि करेगा। भष्ट्राचार पर अंकुश लगेगा। राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी। साथ ही यात्री सुरक्षित होंगे। बस और बस अड्डे अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर हो जाएगे। इन सब बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए संघ के महामंत्री जसवंत सिंह ने एलान किया है कि आगामी आठ फरवरी को जीपीओ हजरतगंज में परिवहन निगम और परिवहन विभाग के कर्मचारी एकजुट होकर सरकार के इस निर्णय पर आभार व्यक्त करेंगे। साथ ही सीएम आवास जाकर सीएम को पुष्प भेंट करेंगे। ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में एक जून 1972 को परिवहन विभाग से परिवहन निगम को अलग करके कारपोरेशन बना दिया गया। इसके पीछे उस सरकार की मंशा थी कि परिवहन निगम व्यवसायिक संस्थान है और व्यवसाय के नजरिए से स्वतंत्र निर्णय ले सके। और बसों के संचालन के मद्देनजर नजर खुद आय व्यय का ब्यौरा रख सके। इनके कामकाज की निगरानी के लिए शासन स्तर पर सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो का गठन किया गया है। परिवहन विभाग के पूर्व आला अफसर बताते है कि केंद्र सरकार की ओर से दोनों विभागों का गठन वर्ष 1950 में हुआ था। बाद में एक जून 1972 को अलग कर दिया। ऐसे में एक बार फिर दोनों विभागों का विलय करने से निगम हित में अच्छा प्रयास होगा। साथ ही सरकार की सम्पत्तियों और राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी। इस विलय को लेकर फिलहाल तर्क दिये जा रहे है कि दशकों से खाली पदों पर भर्ती प्रक्रिया आसान होगी, वित्तिय स्वीकृत में किसी का अड़ंगा नहीं लगेगा,जर्जर बसें और बस अड्डों की दशा में सुधार होगा, रोडवेज बसों के साथ यात्री सुविधाएं बढ़ेगी।गांव-गांव बस सेवा का संकल्प पूरा होगा,नियम विरूद्ध खर्चे रूकने से करोड़ों की बचत होगी,हर वर्ष 275 करोड़ रोड टैक्स की बचत होगी और स्थापना व्यय पर हर वर्ष 200 करोड़ की बचत होगी।

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